बिलासपुर में डॉ. यशवंत सिंह परमार जयंती का जिला स्तरीय कार्यक्रम का हुआ आयोजन
बिलासपुर भाषा एवं संस्कृति विभाग कार्यालय बिलासपुर द्वारा आज डॉ. यशवंत सिंह परमार जयंती का जिला स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम दो सत्रों में आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला भाषा अधिकारी नीलम चंदेल ने की।
कार्यक्रम के प्रथम सत्र में हिमाचल प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार के जीवनवृत्त पर हुसैन अली द्वारा पत्रवाचन पढ़ा गया। हुसैन अली ने उनके द्वारा हिमाचल प्रदेश के विकास के लिए रखी गई मजबूत नींव, उनके दूरदर्शी नेतृत्व, सामाजिक समर्पण और सांस्कृतिक संरक्षण हेतु योगदान पर प्रकाश डाला।
इसी कड़ी में साहित्यकार से मिलिये कार्यक्रम में आज के वरिष्ठ साहित्यकार शीला सिंह का जीवन वृतांत हुसैन अली द्वारा पढ़ा गया तथा शीला सिंह की रचनाओं में समाज, संस्कृति, नैतिक मूल्य तथा लोक चेतना का गहन और प्रभावशाली चित्रण स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है उनकी लेखनी न केवल साहित्यिक अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है, बल्कि समकालीन सामाजिक सरोकारों की भी सजीव प्रस्तुति करती है। उनके इस विशिष्ट साहित्यिक योगदान के लिए उन्हें जिला भाषा अधिकारी नीलम चंदेल द्वारा शॉल एवं डायरी-पेन भेंट कर सम्मानित किया गया।
दूसरे सत्र में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें अनूप सिंह मस्ताना द्वारा मेरा आजाद मुल्ख से रचना प्रस्तुत की जिसकी पंक्तियाँ थी “नवीं रूत आई हूण नवीं ही बहार ये, आजाद मुलखा री महारी आपणी सरकार ये”। हुसैन अली द्वारा पंक्तियाँ थी “अजीब मुकाम से गुजरा है काफिला जिंदगी का, शकुन ढूंढने निकले थे नींद भी गवां बैठे”। शीला सिंह द्वारा “यह सच है कि परमार न होते तो हिमाचल, हिमाचल न होता”। सीता जसवाल द्वारा “सावन की वर्षा ऋतु आई चारों ओर हरियाली छाई, कोयल कुकी चिड़िया चहकी, रंग बिरंगी तितलियाँ आई”। शिव पाल गर्ग द्वारा “महफिलों में भी एक था”। सुषमा खजूरियाँ द्वारा “सिंदूर का मोल” शीर्षक से रचना प्रस्तुत की। कौशल्या देवी द्वारा “जब तक चलेगी जिंदगी की सांसें”। रवीन्द्र चंदेल कमल द्वारा “अम्मा अम्मा भगवाना रा एक कद”। सुमन चड्डा द्वारा एक लड़की का सरनेम शीर्षक से रचना प्रस्तुत की जिसकी पंक्तियाँ थी “वो जब पैदा हुई तो मिला पिता का सरनेम”। गायत्री शर्मा द्वारा “बहुत जख्म खाये है जमाने में हमने”। परविंदर शर्मा द्वारा “डिजिटल इंडिया” के ऊपर हास्य कविता का पाठ किया। ललिता कश्यप द्वारा “छन्द” पाठ किया गया। अजय शर्मा द्वारा “दुखों की है लाख वजह सुख की एक वजह ही काफी है”। मुकेश शर्मा द्वारा पहाड़ी गीत प्रस्तुत किया गया। इन्द्र सिंह चंदेल द्वारा पहाड़ी गाना ”पी ले राधिके, पी ले राधिके गउआं उतर पहाड़ां ते आइयां” गाना प्रस्तुत किया। इस अवसर पर सिकंदर सिंह, कुलदीप शर्मा, नेहा, सपना, शीतल, प्रिया, मुनीश कुमार, प्यारी देवी, राकेश कुमार, अखिलेश कुमार, अंकित कुमार भी श्रोताओं के रूप में उपस्थित रहे।
इस दौरान जिला भाषा अधिकारी ने साहित्यकार/कलाकार से मिलिये कार्यक्रम की शृंखला में साहित्यकार शीला सिंह के साहित्यिक, सामाजिक व लोक चेतना में किए जा रहे उत्कृष्ठ कार्यों की सराहना की तथा डॉ. यशवंत सिंह परमार जी के जीवन पर प्रकाश डाला।
मंच का संचालन इन्द्र सिंह चंदेल द्वारा किया गया।
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