प्रदेश सरकार बीबीएमबी से 14 वर्षों से लंबित ऊर्जा बकाया वसूली के लिए प्रयासरत
शिमला
वरिष्ठ अधिवक्ताओं की टीम सर्वोच्च न्यायालय में मजबूती से रखेगी प्रदेश का पक्ष
जेएसडब्ल्यू ऊर्जा मामले में सर्वोच्च न्यायालय में ऐतिहासिक जीत हासिल करने के उपरांत वर्तमान प्रदेश सरकार अब बीबीएमबी परियोजनाओं से 14 वर्षों से लंबित ऊर्जा बकाया की वसूली के लिए गंभीरता से प्रयासरत है। यह मामला 29 जुलाई, 2025 को न्यायमूर्ति जेके महेश्वरी और न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचिबद्ध है।
प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने आज यहां बताया कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में राज्य सरकार बीबीएमबी की सभी परियोजनाओं से ऊर्जा बकाया की वसूली के लिए निरंतर निरंतर गंभीर प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार यह लड़ाई पिछले 14 वर्षों से लड़ रही है। यह बकाया नवम्बर 1966 से या संबंधित परियोजनाओं के चालू होने की तिथि से 7.19 प्रतिशत हिस्सेदारी के आधार पर मांगा गया है।
प्रवक्ता ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय के 27 सितम्बर, 2011 के ऐतिहासिक निर्णय के उपरांत केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने बीबीएमबी को 1 नवम्बर, 2011 से हिमाचल को 7.19 प्रतिशत विद्युत आपूर्ति शुरू करने के निर्देश दिए थे। इस पर मंत्रालय ने नवम्बर, 1966 से अक्तूबर, 2011 तक की ऊर्जा बकाया की विस्तृत रिपोर्ट सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत की थी। इस रिपोर्ट के अनुसार राज्य को बीबीएमबी परियोजनाओं से कुल 13,066 मीलियन यूनिट बिजली प्राप्त करने का हकदार है, जिसकी वसूली पंजाब और हरियाणा से 60ः40 के अनुपात में होनी है।
उन्होंने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व में दिए गए निर्णय के बावजूद भारत के अटॉर्नी जनरल और ऊर्जा मंत्रालय द्वारा ऊर्जा भुगतान की विधि को लेकर अब तक कोई स्पष्ट प्रस्तुति नहीं दी गई है। इसके चलते मामला बार-बार तकनीकी और प्रक्रियात्मक कारणों से टलता जा रहा है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार अपने हक की लड़ाई पूरी प्रतिबद्धता के साथ लड़ेगी और इसे हासिल करने के लिए हर संभव प्रयास करेगी।
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