सूखे से निपटने के लिए विभाग ने बागवानों को दी आवश्यक सलाह

हमीरपुर । जिला में सूखे की स्थिति को देखते हुए बागवानी विभाग ने बागवानों को आवश्यक सलाह और सुझाव दिए हैं।
विभाग के उपनिदेशक राजेश्वर परमार ने बताया कि पिछले कुछ समय से राज्य के अधिकतर क्षेत्रों में सूखे की स्थिति बनी हुई है। इस स्थिति में नुक्सान को कम करने के लिए पौधों के तौलिये में नमी को संरक्षित करने के लिए जैविक पदार्थ जैसे कि सूखी घास एवं धान की पराली इत्यादि का उपयोग किया जा सकता है। सूखे के दौरान पौधों में बोरोन और कैल्शियम की कमी हो सकती है। इस कमी को दूर करने के लिए बोरिक एसिड 0.1 प्रतिशत एवं कैल्शियम क्लोराइड 0.5 प्रतिशत का प्रयोग करें।
उपनिदेशक ने बताया कि फरवरी-मार्च में तापमान में वृद्धि के कारण गुठलीदार फलों में जल्दी फूल आ रहे हैं और यदि यही स्थिति रहती है तो फलदार पौधे भी जल्दी खिल सकते हैं। सूखे के कारण फलों के नए बागीचों के लिए भी समस्या पैदा हो सकती है।
राजेश्वर परमार ने बताया कि पानी की प्रतिस्पर्धा को कम करने के लिए बागीचों को खरपतवार मुक्त की आवश्यकता है। फलदार पौधों के तौलियों की मल्चिंग द्वारा मिट्टी की नमी को बचाया जा सकता है। उन्होंने कीटों के हमलों से बचाव के लिए फल एवं सब्जियों रखने की नियमित निगरानी की सलाह भी दी। उपनिदेशक ने कहा कि तापमान में अचानक वृद्धि के परिणामस्वरूप प्रारंभिक अवस्था में सभी किस्मों में एक समान फूल आ सकते हैं। इसलिए उचित परागण सुनिश्चित करने के लिए मधुमक्खी कालोनियों को चार कालोनी प्रति हैक्टेयर के हिसाब से बागीचों में रखा जाना चाहिए तथा सभी फसलों में जीवन रक्षक सिंचाई करनी चाहिए। आम की फसल में मिलि बग और मैंगो होपर के हमले को रोकने के लिए फल के पेड़ों की निगरानी की जानी चाहिए। कीट आमतौर पर पुष्प और पत्तियों से रस चूस लेते हैं। मैंगो मिलि बग की ऊपर की ओर गति को नियंत्रित करने के लिए आम के पौधों पर चिपचिपा ग्रीस बैंड लगाएं।
उपनिदेशक ने बताया कि बागवानों को जागरुक करने के लिए बागवानी विभाग विभिन्न जिलों में खंड और पंचायत स्तर पर विशेष जागरुकता शिविर आयोजित कर रहा है। इन शिविरों में किसानों को फसलों में परागण विधि, मल्चिंग, सूक्ष्म सिंचाई विधि, दवाइयों की स्प्रे और खाद एवं उर्वरक डालने के समय और विधि के बारे में विस्तृत जानकारी दी जा रही है।

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