शिमला की दो झीलों का किया जाएगा सीमाकंन- उपायुक्त
जिला वेटलैंड प्राधिकरण की कार्यशाला अनुपम कश्यप की अध्यक्षता में संपन्न
हिमाचल प्रदेश विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण परिषद और जिला वेटलैंड प्राधिकरण की जिला स्तरीय एक दिवसीय कार्यशाला आज यहाँ बचत भवन में उपायुक्त अनुपम कश्यप की अध्यक्षता में आयोजित की गई।
इस कार्यशाला में रवि शर्मा, वैज्ञानिक अधिकारी हिमकोस्टे, ने कार्यशाला के लक्ष्य और उदेश्यों के बारे में विस्तृत जानकारी रखी। उन्होंने कहा कि आर्द्रभूमि परिदृश्य में महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं जो लोगों, वन्यजीवों और जलीय प्रजातियों के लिए कई लाभकारी सेवाएं प्रदान करती हैं। इनमें से कुछ सेवाओं या कार्यों में जल की गुणवत्ता की रक्षा और सुधार, मछलियों और वन्यजीवों के लिए आवास उपलब्ध कराना, बाढ़ के पानी का भंडारण करना और शुष्क अवधि के दौरान सतही जल प्रवाह को बनाए रखना शामिल है। यह मूल्यवान कार्य आर्द्रभूमि की अनूठी प्राकृतिक विशेषताओं का परिणाम हैं। आर्द्रभूमि दुनिया के सबसे उत्पादक पारिस्थितिकी तंत्रों में से हैं, जिनकी तुलना वर्षा, वनों और प्रवाल भित्तियों से की जा सकती है। सूक्ष्मजीवों, पौधों, कीड़ों, उभयचरों, सरीसृपों, पक्षियों, मछलियों और स्तनधारियों की प्रजातियों की एक विशाल विविधता आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा हो सकती है। जलवायु, परिदृश्य आकार (स्थलाकृति), भूगर्भ विज्ञान और पानी की गति तथा प्रचुरता प्रत्येक आर्द्रभूमि में रहने वाले पौधों और जानवरों को निर्धारित करने में मदद करती है। आर्द्रभूमि पर्यावरण में रहने वाले जीवों के बीच जटिल, गतिशील संबंधों को खाद्य जाल कहा जाता है। आर्द्रभूमि को जैविक सुपरमार्केट के रूप में माना जा सकता है। आर्द्रभूमि का संरक्षण बेहद जरूरी है।
कार्यशाला में सलाहकार फॉरेस्ट्री एंड बायोडायवर्सिटी जीआईजेड के कुणाल भरत ने विस्तृत रूप से वेटलैंड को लेकर सरकार के आदेशों व नियमों के बारे में जानकारी रखी। वहीं हिमकोस्टे के वरिष्ठ वैज्ञानिक रिशव राना ने धरातल पर वेटलैंड की सीमाएं निर्धारित करने को लेकर जानकारी साझा की।
इस अवसर पर अतिरिक्ति उपायुक्त अभिषेक वर्मा, उपमंडलाधिकारी (ना०) रोहड़ू विजयवर्धन सहित अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे।
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