पहाड़ी आंगन: स्वाद, संस्कृति और महिला सशक्तिकरण का संगम”

शिमला 

भारतीय समाज में नारी को प्राचीन काल से ही विशिष्ट स्थान प्राप्त रहा है। आधुनिक दौर में भी महिलाएं विकास की मुख्यधारा में समान रूप से सहभागी बन रही हैं। वह न केवल राष्ट्र निर्माण में योगदान दे रही हैं, बल्कि राजनीति, विधि, चिकित्सा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी अपनी प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज करवा रही हैं। हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है ताकि महिलाओं का सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण सुनिश्चित किया जा सके।

इसी दिशा में एक सशक्त पहल के रूप में, हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा शिमला स्थित ऐतिहासिक बैंटनी कैसल में ‘पहाड़ी आंगन प्रदर्शनी’ का आयोजन किया गया है। इस प्रदर्शनी में स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं पारंपरिक पहाड़ी व्यंजनों, हस्तशिल्प, हैंडीक्राफ्ट उत्पादों और हिम-ईरा ब्रांड के तहत स्थानीय वस्तुओं के स्टॉल्स स्थापित कर रही हैं। यह प्रदर्शनी न केवल हिमाचल की सांस्कृतिक विरासत का जीवंत प्रदर्शन है, बल्कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी एक प्रभावी कदम है।

यह आयोजन हिमाचल की पारंपरिक जीवन शैली, खान-पान, परिधानों और लोक कलाओं को समर्पित है, जहां स्थानीय लोगों के साथ-साथ देश-विदेश से आए पर्यटक भी उत्साहपूर्वक भाग ले रहे हैं। प्रदर्शनी के पहले चरण में यह मंच शिमला जिला के स्वयं सहायता समूहों को प्रदान किया गया है। भविष्य में यह अवसर अन्य जिला की महिलाओं को भी दिया जाएगा, जिससे प्रदेश के सभी क्षेत्रों की सांस्कृतिक विविधता और स्थानीय उत्पादों से देश-विदेश के पर्यटक रूबरू हो सकें।

प्रदर्शनी के प्रथम चरण में शिमला जिला के स्वयं सहायता समूहों द्वारा 12 स्टॉल लगाए गए हैं, जहां पारंपरिक व्यंजनों की प्रस्तुति और हस्तशिल्प उत्पादों की बिक्री की जा रही है। इन स्टॉल्स को लेकर स्थानीय लोग और पर्यटक अत्यधिक उत्साहित हैं।

‘पहाड़ी आंगन’ में स्थापित यह महिला केंद्रित प्रदर्शनी और विक्रय मंच न केवल महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बना रहा है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भरता की दिशा में एक नई पहचान भी दे रहा है। यहां महिलाएं केवल उत्पाद निर्माता नहीं, बल्कि सफल व्यवसायी, निर्णयकर्ता और उद्यमिता की मिसाल बन चुकी हैं। यह पहल एक ओर जहां हिमाचल की सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित कर रही है, वहीं दूसरी ओर महिलाओं को सशक्त भविष्य की ओर अग्रसर भी कर रही है।

स्वयं सहायता समूहों का सशक्त नेटवर्क

प्रदेश में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत 88 विकास खंडों में अब तक 42,502 स्वयं सहायता समूह गठित किए जा चुके हैं, जिनमें लगभग 3,48,428 महिलाएं सदस्य के रूप में जुड़ी हुई हैं। इनमें से 29,035 समूहों को 58 करोड़ 22 लाख 26 हजार रुपये की पराक्रमी निधि वितरित की गई है।

इसके अतिरिक्त, प्रदेश में 3,374 ग्राम संगठन गठित किए गए हैं, जिनमें से 1,120 संगठनों को 41 करोड़ 5 लाख रुपये की सामुदायिक निवेश निधि प्रदान की गई है। वहीं, 117 क्लस्टर स्तरीय संघों का भी गठन किया गया है, जो ग्रामीण महिलाओं के लिए आर्थिक एवं सामाजिक सहयोग का आधार बन रहे हैं।

महिला सशक्तिकरण के साथ पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा : अतिरिक्त उपायुक्त 

अतिरिक्त उपायुक्त, अभिषेक वर्मा ने बताया कि बेंटनी कैसल में आयोजित ‘पहाड़ी आंगन’ प्रदर्शनियों में शिमला जिला की महिलाओं द्वारा पारंपरिक भोजन एवं हस्तशिल्प उत्पादों की सुंदर प्रदर्शनी लगाई गई है। यह पहल केवल महिला सशक्तिकरण का प्रतीक नहीं है, बल्कि इससे पर्यटन को भी नया आयाम मिलेगा।

उन्होंने कहा कि स्वयं सहायता समूहों का उद्देश्य आपसी सहयोग के माध्यम से आजीविका आधारित गतिविधियों को बढ़ावा देना है, जिससे महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जा सके। ‘पहाड़ी आंगन’ के माध्यम से शिमला की महिलाओं को आगे बढ़ाने और उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत करने की दिशा में यह एक सार्थक प्रयास है।

उन्होंने स्थानीय नागरिकों और पर्यटकों से ‘पहाड़ी आंगन’ में आने और इस पहल का हिस्सा बनने का आग्रह किया।

हर जिला की महिलाओं को मिलेगा मौका : हितेंद्र शर्मा 

उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी, हिमाचल प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, हितेंद्र शर्मा ने बताया कि विभाग द्वारा शिमला स्थित ऐतिहासिक बैंटनी कैसल में ‘पहाड़ी आंगन’ पहल की शुरुआत की गई है। इस पहल के तहत शिमला जिला की स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं द्वारा पारंपरिक पहाड़ी व्यंजनों और स्थानीय उत्पादों के स्टॉल लगाए गए हैं। यह स्थान अब स्थानीय नागरिकों के साथ-साथ पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है।

उन्होंने कहा कि यह एक छोटा-सा प्रयास है जिससे ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाली महिलाओं को मंच प्रदान कर उनका सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण सुनिश्चित किया जा सके।

हितेंद्र शर्मा ने बताया कि पहले चरण में ‘पहाड़ी आंगन’ का मंच शिमला जिला की महिलाओं को उपलब्ध कराया गया है। इसके पश्चात किन्नौर जिला की स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को यह अवसर दिया जाएगा। इसके बाद क्रमशः प्रदेश के अन्य जिला की महिलाओं को भी यह मंच प्रदान किया जाएगा, जिससे वह अपने पारंपरिक उत्पादों और व्यंजनों को व्यापक स्तर पर प्रदर्शित कर सकें और पर्यटकों तक पहुंचा सकें।

“पहाड़ी आंगन बना महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता का सशक्त मंच”

रामपुर विकास खंड के पालदेनलामों स्वयं सहायता समूह से कांता देवी बताती हैं कि उन्होंने 30 मई से ‘पहाड़ी आंगन’ में अपना स्टॉल लगाया है। उन्होंने सरकार द्वारा इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह मंच महिलाओं के लिए रोजगार और आत्मनिर्भरता का बेहतरीन माध्यम है। कांता देवी ने ग्रामीण विकास विभाग और प्रदेश सरकार के प्रति आभार प्रकट किया।

सुमन, खलीनी क्षेत्र के स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हुई हैं। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा दिए गए मंच से उन्हें जीवन में नया आत्मविश्वास मिला है। पहले वह केवल गृहिणी थीं, लेकिन अब वह स्वयं कमा कर आत्मनिर्भर बनी हैं। उन्होंने अन्य महिलाओं से भी आग्रह किया कि वह आगे आएं और अपने हुनर को पहचान दें। सुमन ने इस अवसर के लिए प्रदेश सरकार का विशेष धन्यवाद किया।

पूनम, ‘नारी शक्ति स्वयं सहायता समूह’ की अध्यक्ष हैं। उन्होंने कहा कि शिमला जिला की अनेक महिलाएं इस पहल के माध्यम से सशक्त बन रही हैं। उन्होंने सरकार एवं विभाग का आभार जताते हुए कहा कि उन्हें घर से बाहर निकलकर काम करने का अवसर मिला, जिससे उन्हें गर्व और आत्मसंतोष प्राप्त हो रहा है।

“ताजा खाना और उत्कृष्ट परिधान — ‘पहाड़ी आंगन’ की विशेषता”

जिला सोलन निवासी 65 वर्षीय ग्राहक शीला ने बताया कि ‘पहाड़ी आंगन’ में प्रवेश करते ही उन्हें अत्यंत प्रसन्नता हुई कि कैसे महिलाएं आत्मनिर्भर होकर अपने स्टॉल चला रही हैं। उन्होंने यहां से खरीदारी की और पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद लिया, जो उन्हें घर जैसा अनुभव दे गया। शीला ने कहा कि यहां पर संगीत और मनोरंजन की भी व्यवस्था है, जिससे पर्यटकों का अनुभव और भी समृद्ध होता है। उन्होंने सभी से ‘पहाड़ी आंगन’ आने और इन उद्यमी महिलाओं का उत्साहवर्धन करने की अपील की।

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