डॉ0 परमार की दूरगामी सोच से हिमाचल बना सका अपनी अलग पहचान, प्रदेश के विकास में रखी मजबूत नींव— राजेश धर्मानी
बिलासपुर
डॉ0 यशवंत सिंह परमार की दूरगामी सोच के कारण आज हिमाचल केवल देश में ही नहीं पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाब रहा है।
यह बात तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्मानी ने बिलासपुर में भाषा में संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित डॉ यशवंत सिंह परमार जयंती समारोह में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी बात उनकी यह थी कि हिमाचल प्रदेश की संस्कृति को बचाने के लिए उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया इसके अलावा उन्होंने गैर हिमाचली को यहां पर जमीन खरीदने का अधिकार न देकर हिमाचल के अस्तित्व को भी बचाया है। उन्होंने ही प्रदेश के विकास में मजबूत नहीं रखी थी।
कहा कि प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री स्व. डॉ. यशवंत सिंह परमार के कुशल नेतृत्व में किए गए संघर्ष के कारण ही आज हम सभी गर्व से हिमाचली कहलाते है। पहाड़ी राज्य को बनाने के लिए संविधान सभा और देश के प्रधानमंत्री स्वर्गीय पंडित जवाहरलाल नेहरू को मनाने में सफल रहे।उनके प्रयासों ने न केवल हिमाचल को पहाड़ी राज्य के रूप में पहचान मिली बल्कि उनके द्वारा प्रदेश के विकास की सुदृढ़ नींव भी रखी गई। डॉ. परमार ने पहाडी राज्य के विकास के लिए अथक प्रयास किए और उनके द्वारा विकास की दिखाई गई राह पर चलकर आज हिमाचल देश में अन्य राज्यों के लिए विकास का आदर्श बनकर उभरा है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश आज मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के कुशल नेतृत्व में डॉ. परमार के विकसित प्रदेश के लक्ष्य को पूरा करने के लिए संकल्पित होकर कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के युवाओं को स्वरोज़गार के पथ पर अग्रसर करने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएं आरम्भ की गई हैं ताकि डॉ. परमार के दिखाए गए मार्ग के अनुरूप हिमाचल को आत्मनिर्भर बनाया जा सके।
डॉ. यशवंत सिंह परमार का मानना था सड़को
विशेष रूप से पहाड़ी क्षेत्र के विकास की भाग्य रेखाएं होती हैं और सड़क निर्माण पहाड़ को विकसित बनाने में महत्वपूर्ण है। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए वर्तमान प्रदेश सरकार द्वारा राज्य की प्रत्येक ग्राम पंचायत को पक्की सड़क से जोड़ा जा रहा है ताकि ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति और मज़बूत हो सके।
उन्होंने कहा कि धर्मानी ने आगे कहा कि बिलासपुर तरक्की की राह पर है फोरलेन तथा रेलवे आदि के बन जाने से निश्चित रूप से बिलासपुर की आपस में कनेक्टिविटी काफी अधिक हो गई है। प्रदेश सरकार फोरलेन के आसपास व्यवसायिक केंद्र का निर्माण करेगी जहां जिलावासी अपने सामान भेज सकेंगे। मनाली जाने वाले पर्यटक व्यावसायिक केंद्रों पर स्थानीय वस्तुओं को खरीदेंगे जिससे जिला वासियों की आर्थिक भी अच्छी होगी।इसके अतिरिक्त फोरलेन के आसपास ऐसे जमीनों की तलाश की जाएगी जहां अच्छे रियांशी परिसर स्थापित किए जाएंगे। इन रियाइशी परिसरों के स्थापित होने से हिमाचल के लोगों को चंडीगढ़ या अन्य जगह जाकर फ्लैट व जमीन खरीदने की आवश्यकता नहीं होगी।
इस अवसर पर उन्होंने भाषण प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत भी किया। इससे पहले जिला भाषा अधिकारी रेवती सैनी ने मुख्य अतिथि को शाल और हिमाचली टोपी देकर सम्मानित भी किया। कार्यक्रम का शुभारंभ एडीसी डॉक्टर निधि पटेल ने द्वीप प्रज्वलित करके किया। जिला भाषा अधिकारी रेवती सैनी ने उनको भी सम्मानित किया। इस आयोजन में बिलासपुर जिले के सात महाविद्यालयों से आमंत्रित विद्यार्थियों की भाषण प्रतियोगिता करवाई गई। प्रतियोगिता का विषय था लोक संस्कृति के संरक्षक डॉक्टर यशवंत सिंह परमार ।
भाषण प्रतियोगिता में प्रथम स्थान शिवा बीएड कॉलेज घुमारवीं की छात्रा नीतिका ने प्राप्त किया। दूसरे स्थान पर राजकीय महाविद्यालय की छात्रा अनामिका रही। तीसरा स्थान जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान की कुमारी रजनीश को मिला। निर्णायक मंडल की भूमिका में डॉ0 लेख राम शर्मा, हिमाचल कोकिला संदेश शर्मा तथा वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार अरुण डोगरा रीतू रहे। कार्यक्रम में बेहतर मंच संचालन रविन्द्र कुमार शर्मा ने किया। कार्यक्रम के आरंभ में सरस्वती वंदना लोक गायक प्रकाश चंद शर्मा ने गाकर सुनाई।
बिलासपुर के ही लक्ष्मी डांस ग्रुप द्वारा मनमोहक आकर्षक नृत्य भी किया गया जिसमें बिलासपुरी संस्कृति की छाप देखी गई। इसके अलावा प्रकाश चंद और कौशल्या ने एक पहाड़ी गीत गाकर भी सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। कॉलेज और स्कूल के विद्यार्थियों ने भी कविताओं का वाचन किया जिनमें काफी कविताएं काफी अच्छी थी इसके अलावा बिलासपुर के अन्य कवियों ने भी अपनी कविताएं सुनाई। सभी प्रतिभागियों को भाषा विभाग की ओर से नगद पुरस्कार देकर सम्मानित भी किया गया
इस अवसर पर जिला कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष अंजना धीमान, एपीएमसी के अध्यक्ष सतपाल अलावा अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित रहे।
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