पांगी को राज्य का पहला प्राकृतिक खेती उप-मंडल अधिसूचित करने पर सरकार की लोगों ने की सराहना

शिमला

जिला चंबा के पांगी उप-मंडल को राज्य का पहला प्राकृतिक खेती उप-मंडल बनाने की घोषणा से क्षेत्र में उत्साह का माहौल है। राज्य सरकार के इस निर्णय से क्षेत्र के लोग अपनी पारंपरिक कृषि पद्धतियों का संरक्षण और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कर सकेंगे। इससे लोगों को आजीविका के स्थायी साधन भी मिलेंगे। हिमाचल दिवस पर मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू द्वारा की गई घोषणा को पूरा करते हुए, इस संबंध में अधिसूचना जारी की गई है।
पांगी घाटी के धनवास निवासी राज कुमार ने कहा कि क्षेत्र के लोग इस निर्णय का लंबे समय से इंतजार कर रहे थे। इस निर्णय से क्षेत्र के लोग उत्साहित हैं। वर्तमान राज्य सरकार क्षेत्र के लोगों के विकास के लिए अभूतपूर्व कार्य कर रही है। रसायनिक खेती से लोगों की जमीन बंजर हो रही थी और पांगी से बाहर रहने वाले कुछ परिवारों ने अपनी जमीन लीज़ पर दी है। सरकार के इस सराहनीय निर्णय से अब लोगों का रूझान अब अपने गांवों की तरफ बढ़ेगा और इससे लोगों का पलायन रूकेगा।
इस अधिसूचना के जारी होने से क्षेत्र के किसानों में आशा की एक नई किरण जगी है और कई किसानों ने प्राकृतिक कृषि पद्धति को अपनाना शुरू कर दिया है। वर्तमान में घाटी में लगभग 2,244 किसान परिवार सक्रिय रूप से रसायन-मुक्त खेती कर रहे हैं और सरकार अब कृषि, बागवानी और अन्य कृषि क्षेत्रों को कवर करते हुए 2,920 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि को शत प्रतिशत प्राकृतिक खेती में बदलने की योजना बना रही है।
स्थानीय किसानों का कहना है कि यह एक स्वागत योग्य कदम है। प्राकृतिक खेती पद्धति से मृदा स्वास्थ्य में सुधार होता है और शून्य लागत कृषि पद्धति होने से किसानों को आशातीत लाभ मिलता है। उनका कहना है कि प्राकृतिक खेती उप-मंडल बनाने से क्षेत्र में पैदा होने वाले उत्पादों को एक अलग पहचान मिलेगी और बेहतर बाजार उपलब्ध होगा। पुंटो गांव की शीला देवी और सुनीता कुमारी का कहना है कि वे साधन संपन्न नहीं हैं, इसलिए वे अपने उद्यम स्थापित नहीं कर सकते हैं। यहां लोगों के पास छोटे-छोटे खेत हैं, जिस पर वे रसायन मुक्त कृषि पद्धति को अपनाकर आने वाली पीढ़ियों के सामने अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के निर्देशों पर कृषि विभाग ने किसानों को प्रशिक्षण, सहयोग और क्षमता निर्माण प्रदान करने के उद्देश्य से एक विस्तृत कार्य योजना तैयार की है। यह योजना चरणबद्ध और विकेन्द्रीकृत तरीके से लागू की जाएगी। पहले चरण में गांव स्तर पर योजना निर्माण, आवश्यकताओं का आकलन और किसानों को जागरूक करने का कार्य किया जाएगा। इसके उपरान्त किसानों के लिए प्राकृतिक खेती के दृष्टिगत व्यापक स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे और खेतों में जमीनी स्तर पर प्रत्यक्ष प्रदर्शन भी किया जाएगा। किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए आवश्यक सहयोग समय पर सुनिश्चित करने के लिए पंचायत स्तर पर बॉयो इनपुट रिसोर्स सेंटर (बीआरसी) स्थापित किए जाएंगे। इन केन्द्रों के माध्यम से बीजामृत, जीवामृत, दशपर्नी अर्क, अग्निअस्त्र जैसे प्राकृतिक उत्पाद उपलब्ध करवाए जाएंगे, जिन किसानों के पास गाय नहीं है उन किसानों के प्रशिक्षण में ये केन्द्र महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे और जानकारी के आदान-प्रदान के लिए सामुदायिक मंच के रूप में भी कार्य करेंगे।
इसके उपरान्त, आगामी चरणों में अधोसंरचना विकास पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया जाएगा, जिसमें पॉलीहाउस, कोल्ड स्टोरेज और अन्य आवश्यक सुविधाओं का विकास शामिल होगा। इसके अतिरिक्त किसानों के संगठनों को मजबूत करने के लिए स्वयं सहायता समूह, किसान उत्पादक संगठन, किसान उत्पादक कम्पनियों के गठन को बढ़ावा दिया जाएगा। किसानों को सशक्त बनाने और उनकी पहुंच प्रीमियम बाजारों तक सुनिश्चित करने के लिए सरकार लार्ज एरिया सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया अपनाएगी। यह प्रक्रिया पीजीएस इंडिया के अंतर्गत सामुदायिक सत्यापन आधारित है। इससे पूरे गांवों को जैविक खेती वाले क्षेत्र के रूप में मान्यता मिल सकेगी।
स्थानीय नेता, स्वयं सहायता समूह सदस्य और युवा इस पहल को लेकर उत्साहित हैं। उनका मानना है कि इससे जनजातीय उद्यमिता को बढ़ावा, पारम्परिक बीजों का संरक्षण और क्षेत्र की समृद्ध कृषि संस्कृति को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
सूरल ग्राम पंचायत के प्रधान दीपक कुमार ने कहा कि यह हमारे क्षेत्र की आर्थिक प्रगति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि प्राकृतिक खेती से उगाई गई फसलें किसानों को उनकी मेहनत का उचित दाम दिलवाएंगी। उन्होंने कहा कि वह राज्य सरकार और विशेष रूप से मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के आभारी हैं जिन्होंने पांगी घाटी की अर्थव्यवस्था को सशक्त करने के लिए व्यक्तिगत रूचि दिखाई और क्षेत्र में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए महत्वाकांक्षी निर्णय लिए।
प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व मंे वर्तमान प्रदेश सरकार राज्य के जनजातीय क्षेत्रों के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है और इन क्षेत्रों के लोगों के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए कई नवीन योजनाएं आरंभ की गई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने अपने कार्यकाल का पहला हिमाचल दिवस कार्यक्रम काजा में आयोजित किया और मुख्यमंत्री स्वयं भी ‘सरकार गांव के द्वार’ कार्यक्रम के अन्तर्गत राज्य के लोगों की कठिनाइयों और समस्याओं को जानने के लिए प्रदेश के दूर-दराज और कठिन इलाकों का दौरा कर रहे हैं।